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श्री महेन्द्रनाथ गुप्त (श्री म) ने ठाकुर रामकृष्ण परमहंस के श्रीमुख-कथित चरितामृत को अवलम्बन करके ठाकुरबाड़ी (कथामृत भवन), कोलकता-700006 से ‘श्री श्री रामकृष्ण कथामृत’ का (बंगला में) पाँच भागों में प्रणयन एवं प्रकाशन किया था। इनका बंगला से यथावत् हिन्दी अनुवाद करने में श्रीमती ईश्वरदेवी गुप्ता ने भाषा-भाव-शैली— सभी को ऐसे सरल और सहज रूप में संजोया है कि अनुवाद होते हुए भी यह ग्रन्थमाला मूल बंगला का रसास्वादन कराती है।
Hindi Edition by
Description
श्री महेन्द्रनाथ गुप्त (श्री म) ने ठाकुर रामकृष्ण परमहंस के श्रीमुख-कथित चरितामृत को अवलम्बन करके ठाकुरबाड़ी (कथामृत भवन), कोलकता-700006 से ‘श्री श्री रामकृष्ण कथामृत’ का (बंगला में) पाँच भागों में प्रणयन एवं प्रकाशन किया था। इनका बंगला से यथावत् हिन्दी अनुवाद करने में श्रीमती ईश्वरदेवी गुप्ता ने भाषा-भाव-शैली— सभी को ऐसे सरल और सहज रूप में संजोया है कि अनुवाद होते हुए भी यह ग्रन्थमाला मूल बंगला का रसास्वादन कराती है।